प्रतिनिधिमण्डल ने सीएमओ में सौंपा मांगों का ज्ञापन

जयपुर। राजस्थानी भाषा को प्रदेश की राजभाषा घोषित करने सहित 10 सूत्री मांग को लेकर राजस्थानी जनमंच के सौजन्य से जिला कलेक्ट्रेट पर धरना दिया गया। इस धरने में संगठन के प्रदेशभर से कार्यकर्ता शामिल हुए। अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर संगठन की मांगों को मजबूती प्रदान करने के लिए हिंदी व राजस्थानी सिनेमा से जुड़े कलाकारों व नामचीन राजस्थानी साहित्यकारों ने केंद्र व राज्य सरकार के खिलाफ आक्रोश जताया। धरनार्थियों को संबोधित करते हुए जनमंच के संयोजक डॉ. हरिमोहन सारस्वत ने कहा कि पिछले चुनावों में राजस्थानी को राजभाषा घोषित करवाने का झांसा देकर प्रदेशवासियों के वोट से सत्ता सुख भोग रहे जनप्रतिनिधियों की सदन में बोलती बंद है।

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जनप्रतिनिधियों की वादाखिलाफी पर रोष जताते हुए सारस्वत ने चेताया कि यदि सरकार ने 30 मार्च (राजस्थान दिवस) से पहले राजस्थानी को राजभाषा घोषित नहीं किया गया तो राजस्थानी जनमंच कड़ा रूख अपनाएगा। इसके लिए प्रदेशभर में मुहीम चलाकर वादाखिलाफी करने वाले नेताओं को आगामी लोकसभा चुनावों में सबक सिखाने के लिए प्रेरित किया जाएगा।

इस मौके पर कॉमेडियन ख्याली सहारण, पूर्व जिला प्रमुख पृथ्वीराज मील, राजस्थान यूथ फाउंडेशन के प्रदेश अध्यक्ष मुकेश अग्रवाल, साहित्यकार भरत ओळा, देवकिशन राजपुरोहित, डॉ. राजेंद्र बारहठ, फिल्मी कलाकार क्षितिज कुमार, अमित श्रीवास्तव, नगेंद्र सिंह शेखावत, जगदीश मेघवाल, प्रशांत जैन, मुकेश समावत, भंवरलाल महिमास, मनोज कुमार स्वामी, हेमंत चांडक, संदीप महिया, शिव कुमार गर्ग, डॉ. बीएल माली, मान सिंह आदि ने राजस्थानी भाषा को प्रदेश की द्वितीय राजभाषा बनाने की मांग की। धरने के पश्चात जनमंच के एक प्रतिनिधि मण्डल ने मुख्यमंत्री कार्यालय में उनके प्रतिनिधि को दस सूत्री मांगपत्र सौंपा।

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ये है मांगें-

1. राजस्थानी भाषा को प्रदेश में द्वितीय राजभाषा का दर्जा देने की घोषणा करें।
2. प्रदेश की प्राथमिक शिक्षा में राजस्थानी को अनिवार्य रूप से लागू करें।
3. प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में राजस्थानी के स्वतन्त्र विभाग खोले जाएं और सरकारी महाविद्यालयों में राजस्थानी विषय का अध्यापन आरम्भ किया जाए।
4. आरपीएससी की सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के पाठ्यक्रम में राजस्थानी भाषा के अध्ययन का अंक भार सारवान रूप से बढ़ाया जाए।
5. अध्यापक पात्रता परीक्षा ‘रीटÓ में राजस्थानी को जोड़ा जाए।
6. प्रदेश के सीनियर सैकेण्डरी स्कूलों में राजस्थानी विषय का अध्यापन अनिवार्य किया जाए तथा स्कूली शिक्षा पाठ्यक्रमों में राजस्थानी के अध्ययन का प्रतिशत बढ़ाया जाए।
7. राजस्थानी की संवैधानिक मान्यता हेतु राज्य सरकार द्वारा तुरन्त केन्द्र को 25 अगस्त 2003 के प्रस्ताव को लाूग करवाने हेतु पत्र लिखा जाए।
8. शिक्षा विभाग की ओर से पुस्तकालय खरीद मद में राजस्थानी भाषा और साहित्य की पुस्तकों का प्रतिषत बढ़ाया जाए।
9. राजस्थानी भाषा, संस्कृति और साहित्य अकादमी का वार्षिक बजट बढ़ाया जाए और अकादमी अध्यक्ष की नियुक्ति की जाए।
10. राजस्थानी भाषा और संस्कृति के उन्नयन के लिए फिल्मी और लोक कलाकारों को सरकारी सहयोग और संरक्षण के समुचित प्रबंध किये जाएं।

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