(पं नीरज शर्मा) कलियुग में हनुमानजी के अलावा भैरव ही एकमात्र ऐसे देव हैं जिनकी पूजा तुरंत फल देती है। अगर सच्चे मन से उनकी पूजा की जाए तो वो अपने भक्तों की इच्छा पूरी करने में क्षण भर भी देर नहीं करते हैं। विशेष तौर पर यदि भैरवाष्टमी या अष्टमी के दिन तंत्र प्रयोग किए जाए या भगवान कालभैरव के मंत्रों का प्रयोग किया जाए तो निश्चित ही हर इच्छा पूरी होती है।
पुराणों में वर्णित कथाओं के अनुसार एक बार भगवान विष्णु और भगवान ब्रह्मा के बीच विवाद छिड़ गया कि उनमे से श्रेष्ठ कौन है? यह विवाद इतना अधिक बढ़ गया कि सभी देवता घबरा गए. उन्हें डर था कि दोनों देवताओं के बीच युद्ध ना छिड़ जाए और प्रलय ना आ जाए. सभी देवता घबराकर भगवन शिव के पास चल गए और उनसे समाधान ढूंढऩे का निवेदन किया. जिसके बाद भगवान शंकर ने एक सभा का आयोजन किया जिसमें भगवान शिव ने सभी ज्ञानी, ऋषि-मुनि, सिद्ध संत आदि और साथ में विष्णु और ब्रह्मा जी को भी आमंत्रित किया.
इस सभा में निर्णय लिया गया कि सभी देवताओं में भगवान शिव श्रेष्ठ है. इस निर्णय को सभी देवताओं समेत भगवान विष्णु ने भी स्वीकार कर लिया. ब्रह्मा ने इस फैसले को मानने से इनकार कर दिया. वे भरी सभा में भगवान शिव का अपमान करने लगे. भगवान शंकर इस तरह से अपना अपमान सह ना सके और उन्होंने रौद्र रूप धारण कर लिया.


भगवान शंकर प्रलय के रूप में नजर आने लगे और उनका रौद्र रूप देखकर तीनों लोक भयभीत हो गए. भगवान शिव के इसी रूद्र रूप से भगवान भैरव प्रकट हुए. वह श्वान (कुत्ते) पर सवार थे, उनके हाथ में एक दंड था और इसी कारण से भगवान शंकर को ‘दंडाधिपतिÓ भी कहा गया है. पुराणों के अनुसार भैरव जी का रूप अत्यंत भयंकर था. उन्होंने ब्रह्म देव के पांचवें सिर को काट दिया तब ब्रह्म देव को अपनी गलती का एहसास हुआ.
.काल भैरव की पूजा से मिलते हैं ये लाभ नारदपुराण के अनुसार कालभैरव की पूजा करने से मनुष्य की हर मनोकामना पूर्ण होती है। यदि मनुष्य किसी पुराने रोग से पीडि़त है तो वह रोग, दुख और तकलीफ भी दूर हो जाएगी।
यही नहीं यदि जीवन में शनि और राहु की बाधाएं आ रही हैं तो वह भी इनकी कृपा से दूर होगी। इनकी पूजा करने से डर से लडऩे की हिम्मत भी मिलती है। भैरवाष्टमी या कालाष्टमी के दिन पूजा उपासना द्वारा सभी शत्रुओं और पापी शक्तियों का नाश होता है और सभी प्रकार के पाप, ताप एवं कष्ट दूर हो जाते हैं. भैरवाष्टमी के दिन व्रत एवं षोड्षोपचार पूजन करना अत्यंत शुभ एवं फलदायक माना जाता है. इस दिन श्री कालभैरव जी का दर्शन-पूजन शुभ फल देने वाला होता है. भैरव जी की पूजा उपासना मनोवांछित फल देने वाली होती है. यह दिन साधक भैरव जी की पूजा अर्चना करके तंत्र-मंत्र की विद्याओं को पाने में समर्थ होता है. यही सृष्टि की रचना, पालन और संहारक हैं. इनका आश्रय प्राप्त करके भक्त निर्भय हो जाता है तथा सभी कष्टों से मुक्त रहता है. भैरव की उपासना षोड्षोपचार पूजन सहित करनी चाहिए. रात्री समय जागरण करना चाहिए व इनके मंत्रों का जाप करते रहना चाहिए. भजन कीर्तन करते हुए भैरव कथा व आरती की जाती है. इनकी प्रसन्नता हेतु इस दिन काले कुत्ते को भोजन कराना शुभ माना जाता है. मान्यता अनुसार इस दिन भैरव जी की पूजा व व्रत करने से समस्त विघ्न समाप्त हो जाते हैं, भूत, पिशाच एवं काल भी दूर रहता है. भैरव उपासना क्रूर ग्रहों के प्रभाव को समाप्त करती है. भैरव देव जी के राजस, तामस एवं सात्विक तीनों प्रकार के साधना तंत्र प्राप्त होते हैं. भैरव साधना स्तंभन, वशीकरण, उच्चाटन और सम्मोहन जैसी तांत्रिक क्रियाओं के दुष्प्रभाव को नष्ट करने के लिए कि जाती है. इनकी साधना करने से सभी प्रकार की तांत्रिक क्रियाओं के प्रभाव नष्ट हो जाते हैं भैरव आराधना से शत्रु से मुक्ति, संकट, कोर्ट-कचहरी के मुकदमों में विजय प्राप्त होती है, व्यक्ति में साहस का संचार होता है. इनकी आराधना से ही शनि का प्रकोप शांत होता है, रविवार और मंगलवार के दिन इनकी पूजा बहुत फलदायी है. भैरव साधना और आराधना से पूर्व अनैतिक कृत्य आदि से दूर रहना चाहिए पवित्र होकर ही सात्विक आराधना की जाती है तभी फलदायक होती है. भैरव तंत्र में भैरव पद या भैरवी पद प्राप्त करने के लिए भगवान शिव ने देवी के समक्ष अनेक विधियों का उल्लेख किया जिनके माध्यम से उक्त अवस्था को प्राप्त हुआ जा सकता है. भैरव जी शिव और दुर्गा के भक्त हैं व इनका चरित्र बहुत ही सौम्य, सात्विक और साहसिक माना गया है न की डर उत्पन्न करने वाला इनका कार्य है सुरक्षा करना और कमजोरों को साहस देना व समाज को सही मार्ग देना. काशी में स्थित भैरव मंदिर सर्वश्रेष्ठ स्थान पाता है. इसके अलावा शक्तिपीठों के पास स्थित भैरव मंदिरों का महत्व माना गया है माना जाता है कि इन्हें स्वयं भगवान शिव ने स्थापित किया था. सुबह सूर्योदय से एक घंटा पहले उठें। नित्य कार्यों से निवृत होकर भैरव जी के दर्शन करने हेतु अष्टमी को भैरव मीन्दर जाएं और तेल का दीपक जलाएं।


हर अष्टमी मेऐसा करने से भैैरव बाबा से जो चाहे सो पाएं।
-लोहबान, गूगल, कपूर, तुलसी, नीम, सरसों के पत्ते मिक्स करके सुबह-शाम घर में धूनी दें।
-भैरू जी के मंदिर में इमरती व मदिरा का भोग लगाएं।
-भैरू मंदिर में उड़द व सिद्ध एकाक्षी श्रीफल भैरू बाबा के समक्ष मन्नत मांग कर चढ़ाएं।
‘-काले कुत्ते को इमरती खिलाएं व कच्चा दूध पिलाएं।
-शुभ कामों में बार-बार बाधा आती हो या विलम्ब होता हो तो रविवार के दिन भैरों जी के मंदिर में सिंदूर का चोला चढ़ाएं और बटुक भैरव स्तोत्र का एक पाठ करें।
-महाकाल भैरव मंदिर में चढ़ाए गए काले धागे को गले या बाजू में बांधने से भूत-प्रेत और जादू-टोने का असर नहीं होता।वो मत्रित्र होना चाहिये
-रोली, सिन्दूर, रक्तचन्दन का चूर्ण, लाल फूल, गुड़, उड़द का बड़ा, धान का लावा, ईख का रस, तिल का तेल, लोहबान, लाल वस्त्र, भुना केला, सरसों का तेल भैरव जी की प्रिय वस्तुएं हैं। इन्हें भैरव जी पर अर्पित करने से मुंह मांगा फल प्राप्त किया जा सकता है।
-प्रतिदिन भैरव मंदिर की आठ बार प्रदक्षिणा करने से पापों का नाश होता है।
-भगवान भैरव का वाहन कुत्ता है इसलिए कुत्ते की भी पूजा की जाती है। कहते हैं कि अगर कुत्ता काले रंग का हो तो पूजा का माहात्म्य और बढ़ जाता है। कुछ भक्त तो उसे प्रसन्न करने के लिए दूध पिलाते हैं और मिठाई खिलाते हैं।
उपासना करने वाले भक्तों को भैरवनाथ की षोड्षोपचार सहित पूजा करनी चाहिए. माना जाता है कि भैरव की आराधना करने से हर तरह की पीड़ा से मुक्ति मिलती है. और विशेषकर जातक की जन्मकुंडली में बैठे अशुभ व क्रूर ग्रह तथा शनि, राहू, केतु व मंगल जैसे मारकेश ग्रहों का प्रभाव कम होता है और व्यक्ति धीरे- धीरे एक सदमार्ग की ओर आगे चलता है. भगवान काल भैरव के जप-तप व पूजा-पाठ और हवन से मृत्यु तुल्य कष्ट भी समाप्त हो जाते हैं.
इस मंत्र का करें जाप- शिव पुराण में कहा है कि भैरव परमात्मा शंकर के ही रूप हैं’ इसलिए आज के दिन पूजा जाप करना फलदायी होता है.
सभी समस्याओं का होता है निदान अगर जीवन में कभी बहुत ही बड़ी समस्या आ जाएं या राहू-केतु ग्रह कुंडली में अशुभ असर दे रहे हैं तो भैंरूजी के इन मंत्रों का प्रयोग करना चाहिए। व्यापार में आ रही बाधाओं, प्रबल शत्रु, कोर्ट-कचहरी के मुकदमे में जीत के लिए भी भैंरूजी की आराधना से तुरंत राहत मिलती है।
ये है भैरव बाबा के कुछ मंत्र – ऊं कालभैरवाय नम:, ऊं भयहरणं च भैरव:, ऊं ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं, ऊं हं षं नं गं कं सं खं महाकाल भैरवाय नम:, ऊं भ्रां कालभैरवाय फट् चाहे तो कृष्ण पक्ष अष्टमी का व्रत कर सकते है।. मान्यता है कि इस व्रत की महिमा से व्रती के सारे विघ्न दूर हो जाते हैं। भूत-प्रेत तथा जादू-टोना जैसी बुरी शक्तियों का उस कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। भैरव बाबा की पूजा और आराधना करने से मृत्यु का भय समाप्त हो जाता कालाष्टमी के दिन शिव जी के स्वरूप कालभैरव की पूजा करनी चाहिये।
इस दिन सुबह जल्दी उठ कर नित्य-क्रिया खतम कर के नहा लें और हो सके तो गंगा जल से शुद्धि कर लें।
व्रत का संकल्प लेकर पितरों को याद करें और उनका श्राद्ध करें। इसके बाद कालभैरव की पूजा करें। रात में धूप, दीपक, काले तिल, उड़द और सरसों के तेल से भैरव जी की पूजा कर के आरती करें। किसी काले कुत्ते को व्रत खत्म करने के बाद मीठी रोटियां खिलाएं। रविवार, बुधवार या गुरुवार के दिन भैरव र्मान्दर मे पेडे का भोग लगाकर बच्चो लडको को बाटे। उड़द के पकौड़े या दही बड़े शनिवार की रात को कड़वे तेल में बनाएं और रात भर उन्हें ढंककर रखें। सुबह जल्दी उठकर प्रात: 6 से 7 के बीच बिना किसी से कुछ बोलें घर से निकले और रास्ते में मिलने वाले पहले कुत्ते को खिलाएं। रविवार कोसुबह सिंदूर, तेल, नारियल, पुए और जलेबी लेकर भैरव मीन्दर जाएं। मन लगाकर उनकी पूजन करें। अष्टोतर शतनाम का पाठ करे बाद में 5 से लेकर 7 साल तक के बटुकों यानी लड़कों को चने-गुड़ ईमरती ,जलेबी का प्रसाद बांट दें। साथ लाए जलेबी, नारियल, पुए आदि भी उन्हें बांटे। प्रति दिन कुत्ते को गुड़ ,ईमरती ,बिस्कुट खिलाएं। कुत्ते को दूग्ध भी पिला सकते है। सवा किलो ईमरती या दही बड़े बुधवार के दिन भैरव नाथ को चढ़ाएं और कुत्तों को खिलाएं। शनिवार के दिन कड़वे तेल में पापड़, पकौड़े, पुए जैसे विविध तलें भैरू वाबा को भोग लगाये और बच्चो को बाट दें। रविवार या शुक्रवार को किसी भी भैरव मंदिर में कपूर जलाये और ईमरती चाढ़ाये पांच नींबू, पांच गुरुवार तक भैरव जी को चढ़ाएं। उनमे एक लोग लगाये साथ ही कपूर जलाये सवा सौ ग्राम काले तिल, सवा सौ ग्राम काले उड़द, सवा 11 रुपए, सवा मीटर काले कपड़े में पोटली बनाकर भैरव नाथ के मंदिर में बुधवार या शनि वारके दिन चढ़ाएं।तो ईच्छा पूरण होती है।
ऊं महाकाल भैरवाय नम: काल भैरव एक और उपाय इस उपाय के लिए आपको मदिरा यानी शराब की। पर ध्यान रखें शराब की बोतल लाने से पहले काल भैरव का मंत्र जो भी आपके पास मंत्र हो इस मंत्र को बोलकर फिर ही शराब की बोतल लानी है। इसके बाद शनिवार की रात को सोते समय अपने सिरहाने रख लेना है और अगले दिन आपको अपने शरीर के ऊपर से 7 बार उल्टा शराब को उसाराना है जैसे नमक और मिर्ची को नजर उतारने के लिए सिर पर घुमाया जाता है वैसे ही आपको इस शराब की बोतल को सीधा नहीं उल्टा ही उसारना है। यानी की दाय से बाय करना है। इसके बाद इस शराब की बोतल को किसी गरीब जरूरतमंद भिखारी को यह शराब की बोतल दे दीजिए गा और मन-ही-मन आपने उसको भैरव बाबा समझकर नमस्कार कर लेना है। आपका कितना भी बड़ा हुआ कितना भी बड़ा कामयाब कितनी भी बड़ी समस्या हो यह उपाय करने से चुटकियों में हल हो जाएगी पर ध्यान रहे कि यह उपाय केवल शनिवार की रात को ही करना चाहिये।(PB)