डॉ. नीरज दइया की पुस्तक ‘बुलाकी शर्मा के सृजन-सरोकार’ का लोकार्पण
बीकानेर । कवि-आलोचक डॉ. नीरज दइया की पुस्तक ‘बुलाकी शर्मा के सृजन-सरोकार’ का लोकार्पण मुक्ति संस्थान एवं स्वामी कृष्णानंद फाऊंडेशन बीकानेर के संयुक्त तत्वाधान में वरिष्ठ स्मालोचक-शिक्षाविद डॉ. उमाकांत गुप्त, वरिष्ठ नाटककार-कवि लक्ष्मीनारायण रंगा, वरिष्ठ नाटककार-गीतकार आनंद वी. आचार्य, व्यंग्यकार-कहानीकार बुलाकी शर्मा, कवि-कहानीकार राजेन्द्र जोशी, हिंगलाज दान रतनू ने स्थानीय होटल ढोला मारू के सभागर में किया।
मंचस्थ अतिथियों और आगंतुकों का स्वागत करते हुए स्वामी कृष्णानंद फाऊंडेशन के अध्यक्ष हिंगलाज दान रतनू ने कहा कि बुलाकी शर्मा के साठ वर्ष होने के साथ ही उनकी सृजन यात्रा से न केवल यह शहर वरन पूरा देश गौरावंति है। पुस्तक लोकार्पण एवं षष्टिपूर्ति कार्यक्रम में साहित्यकार राजेन्द्र जोशी ने कृतिकार डॉ. नीरज दइया एवं कृति के नायक बुलाकी शर्मा के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि यह पहला अवसर है जब किसी रचनाकार और उसकी रचनाओं को केंद्र में रख कर पूरी कृति पाठकों के समक्ष है। उन्होंने कहा कि साहित्य आलोचना के इस क्रम में डॉ. दइया की सक्रियता उल्लेखनीय है।
कार्यक्रम के अध्यक्ष समालोचक-शिक्षाविद डॉ. उमाकांत गुप्त ने कहा कि डॉ. नीरज दइया ने अपनी कृति में पूरी गंभीरता के साथ बुलाकी शर्मा को बतरस के साथ समाहित करते हुए समोहित करने वाली भाषा में पठनीय आलोचना को रेखाचित्र-संस्मरण आदि विधाओं के समागम से समपुष्ट किया है। गुप्त ने कहा कि बुलाकी शर्मा बेशक आज सठियाएं हैं किंतु लेखन ऐसा क्षेत्र है जहां हर लेखक को समाज सठिया हुआ ही मानता है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि नाटककार-कवि लक्ष्मीनारायण रंगा ने कहा कि डॉ. नीरज दइया ने बुलाकी शर्मा के साहित्यिक अवदान का आकलन करते हुए परिचयात्मक अधिक परिदृश्य प्रस्तुत किया है। उन्होंने कहा कि वर्तमान साहित्य की सबसे बड़ी त्रासदी यह है कि मूल्यांकन नहीं हो रहा। आज के समय में आलोचना के क्षेत्र में डॉ. नीरज दइया की भांति अन्य लेखकों पर भी लिखे जाने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ गीतकार-नाटककार आनंद वी. आचार्य ने कहा कि मजदूर दिवस के मौके एक लेखक पर प्रकाशित इस कृति के लिए डॉ. नीरज दइया साधुवाद के पात्र हैं। उन्होंने बुलाकी शर्मा के नाटक ‘समय निरंतर’ पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि कंश के चरित्र के विविध पक्षों को उजागर करता महत्त्वपूर्ण नाटक एक बड़ा अवदान है।
कार्यक्रम के आरंभ में अपनी नई कृति के विषय में बोलते हुए लेखक डॉ. नीरज दइया ने कहा कि इस कृति के माध्यम से लेखक बुलाकी शर्मा के व्यक्तित्व और कृतित्त्व के विषय में बहुत कुछ नया जानने को मिलेगा। किसी भी समकालीन और निरंतर सृजनरत सक्रिय लेखक पर लिखना जोखिम भरा काम होता है क्योंकि वह संभावनाओं से भरा होता है। डॉ. दइया ने अपने अनेक प्रसंग साझा करते हुए रचना प्रक्रिया के साथ बुलाकी शर्मा के सृजन सरोकारों को साझा किया।
समारोह में खास तौर पर आमंत्रित कृति के नायक कहानीकार बुलाकी शर्मा ने कहा कि यह सार्वजिक कार्यक्रम बेशक उनके साठ वर्ष पूर्ण होने की घोषणा हो किंतु किसी भी लेखक को साहित्य में चिर युवा बन कर ही लेखन में रत रहना चाहिए और वे भी स्वयं को सक्रिय रखने के अपने चालीस वर्ष की अवधि को निरंतर आगे बढ़ाते जाएंगे।
वरिष्ठ साहित्यकार भवनी शंकर व्यास ‘विनोद’ ने कहा कि बुलाकी शर्मा का लेखन कई मायनों में प्रभावित करने वाला है। वे वरिष्ठ व्यंग्यकार के रूप में देश भर में जाने जाते हैं और उन्होंने अपने साहित्यिक जीवन में विविध क्षेत्रों में कार्य किया है। साहित्यकार डॉ. ब्रज रतन जोशी ने बुलाकी शर्मा में आत्मीय और बेबाक लेखक बताते हुए कहा कि वे लेखन के प्रति सदा सच्चे और ईमानदार रहे हैं। कवि नवनीत पाण्डे ने अपने आत्मीय प्रसंग साझा करते हुए बुलाकी शर्मा को युवाओं के प्रेरणा स्रोत बताया। लेखक नदीम अहमद नदीम ने उन्हें बड़ा कहानीकार बताते हुए उनकी अनेक कहानियों का जिक्र किया। साहित्यकार कमल रंगा ने बुलाकी शर्मा और नीरज दइया के साथ बीताए प्रसंग साझा करते हुए कृति के लिए बधाई दी। शर्मा के अनुज देवकृष्ण शर्मा ने पारिवारिक प्रसंगों को साझा करते हुए बुलाकी शर्मा को अपना प्रेरणा स्रोत बताया।
कार्यक्रम में सखा संगम एवं अन्य संस्थाओं द्वारा बुलाकी शर्मा के जन्म दिवस पर उनका सम्मान किया गया। साथ ही आयोजक दोनों संस्थाओं द्वारा मंचस्थ अतिथियों, कृति के नायक बुलाकी शर्मा एवं लेखक डॉ. नीरज दइया का शाल ओढ़ाकर सम्मान किया गया। कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. नन्दकिशोर आचार्य, सरदार अली परिहार, मधु आचार्य ‘आशावादी’, मोइनूदीन कोहरी, प्रमोद कुमार चमौली, सुदेश व्यास, इकबाल हुसैन, डॉ. मुरारी शर्मा, एन.डी.रंगा, डॉ. प्रशांत बिस्सा, ब्रजगोपाल जोशी, अरविंद ऊभा,पी.आर.लील, गौरीशंकर प्रजापत, मोहन थानवी, गिरधरदान रतनू, मनमोहन कल्याणी, दीपचंद सांखला, अंजनी कुमार, सीताराम जाट, हरिप्रकाश स्वामी, वी.एस.बाना, एल एन सोनी, डॉ. मोहम्मद हुसैन, वली गौरी, डॉ. नमामीशंकर अचार्य, महेंद्र जैन, रवि पुरोहित, डॉ. ब्रह्माराम चौधरी, इरसाद अजीज, मंदाकिनी जोशी, मोनिका गौड़, डॉ. रेणुका व्यास, सुधा आचार्य, डॉ. उषाकिरण सोनी, मनीषा आर्य सोनी आदि साक्षी रहे। कार्यक्रम का संचालन राजेन्द्र जोशी ने किया तथा आगंतुकों का आभार राजाराम स्वर्णकार ने व्यक्त किया।