आचार्यश्री तुलसी का 104वां जन्मोत्सव उत्साहपूर्वक आयोजित

????????????????????????????????????

ओम एक्सप्रेस न्यूज बीकानेर। तेरापंथ का यह सौभाग्य है कि तुलसी से जैसे आचार्य मिले और आचार्य तुलसी परम सौभाग्यशाली थे कि आचार्य भिक्षु का अनुशासित श्रावक समाज मिला। यह बात खरतरगच्छ संघ के गच्छाधिपति आचार्यश्री जिनमणिप्रभ सूरिश्वर जी ने नैतिकता का शक्तिपीठ पर आचार्य तुलसी के 104वें जन्मोत्सव को सम्बोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि संत परम्परा से जुड़े होते हैं परन्तु संत सभी के होते है। तेरापंथ के आठ आचार्यों का कार्यकाल एक तरफ व आचार्य तुलसी का कार्यकाल एक तरफ है। उन्होंने कहा कि आचार्य तुलसी ने उदारता व विशालता का वातावरण बनाया। गच्छाधिपति ने कहा कि परस्पर सहयोग का वातावरण बनावें। आचार्य तुलसी क्रान्तिकारी संत थे। उन्होंने कच्छुए और खरगोश की कहानी के माध्यम से परस्पर सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया।
अणुव्रत समिति के संयोजक, सांसद अर्जुनराम मेघवाल ने कहा कि आचार्य तुलसी ने अपने चातुर्मास के दौरान सन् 1950 में दिल्ली के चांदनी चौक में केवल जैन समाज के श्रावकों को ही नहीं अपितु सभी धर्म, सम्प्रदाय को ‘असली आजादी अपनाओÓ का नारा देते हुए देश में नैतिकता, अहिंसा और सद्भावना के साथ जीवन जीने का मार्ग दिखाया। आचार्य तुलसी के अवदानों में अणुव्रत आंदोलन एक ऐसा आंदोलन है जो गांव, प्रदेश, देश में ही नहीं विदेशों तक लोगों ने अपनाया है। सांसद मेघवाल ने कहा कि सभी को परस्पर सहयोग के साथ मैत्री भावना रखना चाहिए।

21oct2017

आचार्य तुलसी शान्ति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष जैन लूणकरण छाजेड ने कहा कि आचार्य तुलसी ने 11 वर्ष की उम्र में दीक्षा लेकर 22 वर्ष में संघ का नेतृत्व संभाल लिया। उन्होंने कहा कि पांव-पांव चलकर आचार्य तुलसी ने पूरे भारत को मापा तथा झोंपड़ी से राष्ट्रपति भवन तक पहुंचकर अणुव्रत का प्रचार प्रसार किया। छाजेड़ ने कहा कि आचार्य तुलसी जैसे महामानव सदियों में ही अवतरित होते हैं।
मुनिश्री शान्तिकुमारजी ने गुरू ब्रह्य गुरू विष्णु गुरू देवे महेश्वराय के श्लोक सुनाते हुए कहा कि जीवन में हमेशा गुरू की बात पर चलना चाहिए। गुरू के अवदानों का चिन्तन करते हुए अपनी जीवन को उतारना चाहिए। आचार्यश्री तुलसी को भावांजलि देते हुए मुनिश्री ने कहा कि आचार्यश्री तुलसी के अवदानों के बारे में हमेशा मनन करना चाहिए। निज पर शासन फिर अनुशासन को अपने जीवन में उतार कर मैत्री भाव के साथ जीवन यापन करना चाहिए।
शासनश्री मुनिश्री मुनिव्रत जी ने कहा कि गुरूदेव का चिन्तन विराट है। उनका जन्मोत्सव ‘अणुव्रत दिवसÓ के रूप में मनाया जाता है। सभी आचार्यों ने आचार्यश्री तुलसी के अवदानों का सराहा है। आचार्यश्री तुलसी के अणुव्रत आन्दोलन के माध्यम से जन जन तक पहुंचा कर सभी को लाभान्वित किया है। मुनिश्री ने कहा कि आचार्यश्री ने अनेक अवदानों में अणुव्रत एक ऐसा आन्दोलन है जिससे चरित्र निर्माण होता है। समारोह में समणीश्री मल्लीप्रभा जी ने कहा कि तुलसी नाम महान है, उनके काम महान है, सब कुछ महान है। नैतिकता का शक्तिपीठ अहिंसा का संदेश देता रहेगा। आचार्यश्री तुलसी हमेशा सभी धर्म, जाति, सम्प्रदाय को साथ लेकर चले और उन्होंने हमेशा हिंसा का विरोध किया। साध्वीश्री कमलप्रभाजी ने कहा कि जन्मदिन उन्हीं का मनाया जाता है जो जीवन मूल्यों को प्रतिष्ठित करता है। महापुरूषों का जीवन उपलब्धियों से भरा होता है। वैसे ही आचार्यश्री तुलसी का जीवन है। आचार्यश्री के विभिन्न अवदानों में अणुव्रत एक विशिष्ट अवदान है। साध्वश्री ने कहा कि आचार्यश्री तुलसी मानवता के अमर मसीहा थे। वे हमेशा से परस्पर सहयोग की भावना का प्रसार प्रसार किया।
महामंत्री जतनलाल दूगड़ ने आचार्य तुलसी शान्ति प्रतिष्ठान द्वारा संचालित गतिविधियों की जानकारी देते हुए भावांजलि अर्पित की तथा कहा कि आचार्यश्री के नैतिकता के संदेशों को हमेशा प्रचारित-प्रसारित आचार्य तुलसी शान्ति प्रतिष्ठान करता रहेगा। महामंत्री ने कहा कि आचार्यश्री की मासिक पुण्यतिथि पर संगोष्ठियों का आयोजन, शोध, साहित्य की दिशा में कार्य चल रहा है। आचार्य तुलसी कैंसर सेन्टर पूरे भारत में मशहुर है। इसी क्रम में प्रतिष्ठान हमेशा प्रगतिशील रहेगा। महामंत्री जतनलाल दूगड़ ने सभी अतिथियों को आभार ज्ञापित किया।
समारोह की शुरूआत मुनिवृन्द द्वारा मनस्कार महामंत्र के संगान के साथ हुआ तथा मुनिश्री गिरीशकुमारजी ने समारोह में पधारे सभी श्रावक-श्राविकाओं को जप करवाया।मुनिश्री श्रेयांसकुमारजी ने गितीका व भीनासर महिला मण्डल द्वारा तुलसी अष्टकम् का संगान किया तथा बीकानेर महिला मण्डल द्वारा मंगलाचरण व अणुव्रत गीत की प्रस्तुति दी। तेरापंथ महिला मण्डल, गंगाशहर द्वारा गीतिका का संगान किया गया। समारोह में मनीष बाफना, प्रकाश भंसाली, सुरपत बोथरा, महेन्द्र बैद ने अभिव्यक्ति प्रस्तुत की।
समारोह के दौरान डॉ. पी.सी. तातेड़ ने स्वागत भाषण में आचार्यश्री जिनमणिप्रभ सागरजी, मुनिवृन्द्ध, साध्वीश्री एवं समणीजी तथा मुख्य अतिथि का स्वागत करते हुए सभी श्रावक-श्राविकाओं का आभार जताया। गच्छाधिपति आचार्यश्री जिनमणिप्रभ सुरिश्वर को तुलसी वाड्ग्मय केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल, महापौर नारायण चौपड़ा व जतनलाल दूगड़ ने भेंट किया। भाजपा के जिला अध्यक्ष सत्यप्रकाश आचार्य, महामंत्री मोहन सुराणा व महापौर नारायण चौपड़ा को स्मृति चिन्ह बसन्त नौलखा, इन्द्रचन्द्र सेठिया व प्रकाश भंसाली ने किया। समारोह का संचालन जैन लूणकरण छाजेड़ ने किया।