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गुजरात में चुनावी बिगुल बज चुका है. ऐसे में बीजेपी के खिलाफ कांग्रेस की सारे विरोधी को एक करने की कोशिश कुछ कुछ रंग लाती नजर आ रही है. एक तरफ राज्य में बड़े ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर ने कांग्रेस का दामन थाम लिया है. कांग्रेस ने पाटीदार नेता हार्दिक पटेल को भी अपनी तरफ नरम कर दिया है. यही वजह है कि अब कांग्रेस ने अपना फोकस तीसरे मजबूत युवा नेता जिग्नेश मेवानी की ओर कर दिया है. कांग्रेस उन्हें अपने साथ जोडऩे की पूरी तैयारी कर रही है. जिग्नेश मेवानी आज दिल्ली में हैं. संभावना है कि वह राहुल गांधी से मुलाकात कर सकते हैं. हालांकि अशोक गहलोत ने बताया कि जिग्नेश ने साफ कहा है कि जब तक कांग्रेस पार्टी दलितों से जुड़े मुद्दों पर अपनी राय साफ नहीं करती तब तक वह कोई निर्णय न?हीं लेंगे. गहलोत ने यह भी कहा कि जिग्नेश का यह निर्णय सही भी है. आगे कहते हुए गहलोत ने कहा कि उन्होंने जिग्नेश से दो बार मुलाकात की है और वह जानते हैं कि उनके दिल में दलितों पर हो रहे अत्याचारों को लेकर काफी दर्द मौजूद है. वहीं कांग्रेस भी किसानों, दलितों, ओबीसी आदि की लड़ाई लड़ते रहती है. गहलोत ने बताया कि जिग्नेश दिल्ली में हैं, लेकिन उन्होंने राहुल गांधी से मुलाकात नहीं की है. गुजरात में युवा दलित नेता के तौर पर जिग्नेश मेवानी ने अपनी पहचान बनाई है. जिग्नेश पेशे से वकील और सामाजिक कार्यकर्ता हैं.

ऊना में गोरक्षा के नाम पर दलितों की पिटाई के खिलाफ हुए आंदोलन जिग्नेश ने नेतृत्व किया. ऐसे में कांग्रेस उन्हें अपनी तरफ लाकर दलितों को अपने साथ करना चाहती है. आपको बता दें कि गुजरात में युवा दलित नेता के तौर पर पहचान बनाने वाले जिग्नेश मेवानी का दिल कांग्रेस के लिए नरम और बीजेपी के लिए कड़ा रुख अख्तियार किए हुए है. अल्पेश ठाकोर के कांग्रेस में शामिल होते वक्त आजतक से जिग्नेश मेवानी ने कहा था कि वह इस बार बीजेपी को किसी भी हाल में हराना चाहते हैं. पंचायत आजतक पर भी जिग्नेश ने कहा था कि इस बार के गुजरात विधानसभा के चुनाव में जाति के नाम पर वोट नहीं पड़ेगा, बल्कि बीजेपी को सत्ता से बेदखल करने के लिए पड़ेगा. ऐसे में जिग्नेश अगर कांग्रेस का दामन पकड़ ले तो इसमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए. हालांकि जिग्नेश ने यह भी कहा है कि दलित आंदोलन का मकसद का सत्ता नहीं है. हमारा संघर्ष जातिमूलक समाज की स्थापना है. उन्होंने कहा था कि हम बस गुजराती बनकर सवाल उठा रहे हैं. अल्पेश और हार्दिक की तरह जिग्नेश भी बीजेपी के खिलाफ हुए आंदोलन का चेहरा हैं. ‘आजादी कूच आंदोलन’ में जिग्नेश ने 20 हजार दलितों को एक साथ मरे जानवर न उठाने और मैला न ढोने की शपथ दिलाई थी. जिग्नेश की अगुवाई वाले दलित आंदोलन ने बहुत ही शांति के साथ सत्ता को करारा झटका दिया था. इस आंदोलन को हर वर्ग का समर्थन मिला. आंदोलन में दलित मुस्लिम एकता का बेजोड़ नजारा देखा गया था. सूबे में करीब 7 फीसदी दलित मतदाता हैं.
कांग्रेस ने दिया था न्योता
गुजरात चुनाव की घोषणा होने से पहले ही कांग्रेस ने बड़ा दांव खेला दिया था. कांग्रेस ने बीजेपी के खिलाफ मिलकर चुनाव लडऩे के लिए पाटीदार नेता हार्दिक पटेल समेत दूसरे युवा नेताओं को साथ आने का न्योता दिया था. इस न्योती को स्वीकार करते हुए जहां सबसे पहले अल्पेश ठाकोर ने कांग्रेस का दामन थामा. वहीं गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस और पाटीदार अनामत आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल के बीच सहमति बनती नजर आ रही है. साथ ही जिग्नेश में कांग्रेस के प्रति नरम रुख रखा हुआ है.
कांग्रेस ने मानी हार्दिक की 4 शर्तें
आरक्षण के मुद्दे पर कांग्रेस के रुख को लेकर अल्टीमेटम देने के बाद हार्दिक पटेल अब नरम पड़ते दिखाई दे रहे हैं. हार्दिक पटेल ने कहा है कि 3 नवंबर को सूरत में होने वाली कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की जनसभा का वह न ही समर्थन करेंगे, न ही विरोध. सोमवार को पाटीदारों के साथ कांग्रेस नेताओं ने मीटिंग की. मीटिंग के बाद हार्दिक ने बताया कि पटेल समाज के पांच में से 4 मुद्दों पर कांग्रेस से सहमति बन गई है. उन्होंने कहा कि पाटीदार 7 नवंबर तक आरक्षण पर कांग्रेस के प्लान का इंतजार करेंगे. हार्दिक ने ये भी कहा कि राहुल गांधी खुद इस मामले में बात करना चाहते हैं तो हम जाकर बात करेंगे.