बीकानेर। पुत्र अपने माता-पिता, गुरु के ऋ ण से कभी ऋ ण नहीं हो सकता। स्वयं श्रीकृष्ण ने अपने माता-पिता से भी यही कहा है। जो पुत्र अपने माता-पिता की सेवा, आदर-सम्मान के साथ नहीं करता, वह चाहे जो भी हो नरक को प्राप्त होगा। यह बात श्रीमद्भागवत कथा आयोजन समिति के तत्वाधान में अग्रसेन भवन में चल रही श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दौरान महाराज किशोरीलाल ने भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में कृष्ण-रुक्मिणी विवाह का प्रसंग सुनाते हुए कही। भागवत कथा में कथाव्यास ने उपस्थित श्रद्धालुओं पर अमृतवर्षा करते हुए उद्धव-गोपी संवाद सुनाया और कहा कि श्रीकृष्ण ने गोपियों को ज्ञान संदेश देने के लिए उद्धव जी को उनके पास भेजा था।

परंतु गोपियों के निष्काम प्रेम ने उन्हें जीत लिया। अत: निष्काम भक्ति ही सर्वश्रेष्ठ और भगवान की कृपा प्राप्त करने का एकमात्र माध्यम है। काफी संख्या में आए श्रद्धालु प्रवचन सुनकर भक्तिरस में डूबे रहे। इस अवसर पर कृष्ण-रुक्मिणी विवाह को साकार करते हुए मनोहर झांकी सजाई गई, जिसमें श्रीकृष्ण-रुक्मिणी का स्वयंवर मंच पर प्रस्तुत किया गया। रुक्मिणी-श्रीकृष्ण विवाह में जहां महिलाओं ने विवाह गीत गाए वहीं कन्यादान के रूप में वस्त्र, बर्तन, बिजली के उपकरण, रुपए और कई वस्तुएं भेंट की। विवाह गीतों पर महिलाओं ने जमकर नृत्य किया। आयोजन से जुड़े ताराचंद अग्रवाल ने बताया कि कथा श्रवण में महापौर नारायण चौपड़ा,हुलाशचंद अग्रवाल,नरेश अग्रवाल,मक्खन आचार्य,सुशील आचार्य,मधुलिका आचार्य,रेणू आचार्य सहित सैक ड़ों की संख्या में श्रद्वालु उपस्थित रहे।(PB)