3jan-2018-OM-saahitya2

जयपुर। जयपुर में बाजारीकरण से प्रभावित फेशन परेड की तर्ज पर आयोजित होने वाले एक बड़े साहित्य उत्सव में अंग्रेजी साहित्य के बढ़ते वर्चस्व को देखते हुए राजस्थान प्रगतिशील लेखक संघ भारतीय भाषाओं और उससे जुड़े साहित्यकारों को आगे लाने के लिए जयपुर लिट्रेचर फेस्टीवल की तर्ज पर आगामी 27 जनवरी से तीन दिवसीय ”समानान्तर साहित्य उत्सवÓÓ का आयोजन करने जा रहा है। जनपथ स्थित यूथ हॉस्टल में आयोजित होने वाले इस समानान्तर साहित्य उत्सव में केदारनाथ सिंह, नरेश सक्सेना, विष्णु खरे, सुरजीत पातर, मंगलेश डबराल, मैत्रेयी पुष्पा, लीलीधर मंडलोई, मनीषा कुलश्रेष्ठ जैसे देष के अनेक नामचीन साहित्यकार शिरकत करेंगे।

lotus
प्रलेस के महासचिव एवं इस समारोह के मुख्य समन्वयक ईशमधु तलवार ने प्रेस वार्ता में बताया कि साहित्य के नाम पर दुनियाभर में जो लिट फेस्ट कल्चर विकसित किया जा रहा है वह वास्तव में साहित्य और कला को मनोरंजन के बाजार में बदलने का काम कर रहा है। जिस तरह से साहित्य के नाम पर उत्सव आयोजित किये जा रहे हैं, वे दरअसल अपसंस्कृति के उत्सव हैं। साहित्यकारों के नाम पर गैर साहित्यकारों, अभिनेताओं, सेलिब्स, मसखरों, अवसरवादियों और व्यापारियों को लेखक और बुद्धिजीवियों की तरह पेश किया जा रहा है। राजस्थान प्रगतिशील लेखक संघ आगामी 27 जनवरी से तीन दिवसीय ”समानान्तर साहित्य उत्सवÓÓ का आयोजन करने जा रहा है।
इस अवसर पर इंडियन पीपुल्स थियेटर एसोसिएशन (इप्टा) के अध्यक्ष वरिष्ठ रंगकर्मी रणवीर सिंह ने जयपुर लिटलेचर फेस्टीवल का नाम लिए बगैर उसे कलाफरोशों का और प्रलेस की ओर से आयोजित होने वाले समानान्तर साहित्य उत्सव को अदीबों का साहित्य उत्सव बताया। प्रलेस के अध्यक्ष एवं फेस्टीवल चेयरमेन वरिष्ठ साहित्यकार ऋतुराज ने इस अवसर पर कहा कि जिस तरह लिट फेस्ट कल्चर अंग्रेजी का वर्चस्व स्थापित करने लगी है, इसमें उत्तर औपनिवेशिक संस्कृति की झलक दिखाई देती है। प्रलेस समानान्तर साहित्य उत्सव के माध्यम से हिंदी, उर्दू, पंजाबी, राजस्थानी और अन्य भारतीय भाषाओं में हो रहे विश्व स्तरीय लेखन को रेखांकित करने की पहल कर रहा है। फेस्टीवल के संयोजक कृष्ण कल्पित ने बताया कि तीन दिवसीय इस उत्सव में कुल 24 सत्र आयोजित किये जाएंगे जिसमें कविता, कहानी, आलोचना, राजनीति, अर्थशास्त्र, किसान, दलित, आदिवासी-बहुजन आदि विषयों पर हिंदी, उर्दू, पंजाबी, राजस्थानी, सिंधी आदि भाषाओं में विस्तृत चर्चा होगी। उत्सव के दौरान हर शाम नाटक, कविता पाठ, संगीत और सिनेमा का आयोजन होगा। इस उत्सव में राजस्थान की लोककलाओं और लोक संगीत को भी पूरी तव्वजो दी जाएगी। उत्सव में राजस्थान के दूरदराज के इलाकों से करीब 100 से अधिक अतिथि लेखकों के अलावा राष्ट्रीय स्तर के अनेक अतिथि लेखक शिरकत करेंगे।

समानांतर साहित्य उत्सव क्यों – राजस्थान प्रगतिशील लेखक संघ साहित्य के कॉरपोरेटीकरण-बाज़ारीकरण के विरुद्ध आगामी 27,28 और 29 जनवरी 2018 को त्रिदिवसीय ‘समानान्तर साहित्य  उत्सव'(Parallel Literature Festival) PLF का आयोजन करने जा रहा है।
• प्रगतिशील लेखक संघ का मानना है कि आर्थिक उदारवाद के नाम पर पिछले तीस वर्षों में दुनिया पूंजीवाद के क्रूर जबड़ों में समाती जा रही है,जहां हर पवित्र चीज और सारी कलाओं और साहित्य को एक उत्पाद में बदल दिया गया है।
• साहित्य अब मनुष्य की बेहतरी के लिए नहीं, बल्कि बाजार को खुश करने के लिए लिखा जा रहा है।
• प्रलेस का मानना है कि आज दुनिया भर में नव फासीवाद का दौर है। वर्चस्ववादी ताकतें , साम्प्रदायिक शक्तियां और हथियारों की अंधी हौड़ ने हमारी समकालीन दुनिया को अधिक बर्बर बनाया है।हमारा देश भी इससे अछूता नहीं हैं।
• साहित्य के नाम पर दुनिया भर में जो लिट फेस्ट-कल्चर विकसित की जा रही है  वह वस्तुतःसाहित्य और कलाओं को मनोरंजन मात्र  में बदल रही है। लिट फेस्ट कल्चर के नाम पर “फेशन  परेड की तर्ज़ पर” अब देश में जो साहित्यिक उत्सव आयोजित  किये  जा रहे हैं, वे अपसंस्कृति का उत्सव हैं।लेखकों के नाम पर गैर  लेखकों, अभिनेताओं , सेलेब्रेटीज को,मसखरों को, व्यापारियों को,राजनीतिज्ञों को बुद्धिजीवियों की तरह पेश किया जा रहा है।
• प्रलेस किसी भी भाषा  के विरुद्ध नहीं है ,लेकिन जिस तरह लिट फेस्ट-कल्चर में अंग्रेजी का वर्चस्व स्थापित किया जा रहा है, उससे उत्तर औपनिवेशिक संस्कृति की झलक दिखाई देती है ।प्रलेस हिंदी, उर्दू ,पंजाबी , राजस्थानी और अन्य भारतीय भाषाओं में हो रहे विश्व स्तरीय लेखन को रेखांकित करना चाहता है।
• इस समारोह में बड़ी संख्या में स्थानीय लेखकों के साथ ही देश भर के विख्यात लेखक हिस्सा लेंगे। राष्ट्रीय स्तर के कम से कम बीस लेखक इसमें शिरकत करेंगे।साथ ही राजस्थान के दूर दराज के इलाकों से  कोई  50 अतिथि लेखक इस साहित्य उत्सव में भाग लेंगे।
• तीन दिन चलने वाले “समानांतर साहित्य उत्सव” में कुल 24 सत्र होंगे।ये सत्र कविता, कहानी, साहित्य, समाजीकरण,अर्थशास्त्र, किसान, आदिवासी,हिंदी, उर्दू, राजस्थानी,पंजाबी आदि भाषाओं के होंगे।
• इस त्रिदिवसीय समारोह में हर शाम कवि सम्मेलन, मुशायरा, नाटक, फ़िल्म और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा। राजस्थान की लोक कलाओं और लोक संगीत को भी समारोह में तरजीह दी जाएगी।
• ऋतुराज- अध्यक्ष (फेस्टिवल चेयरमैन)
• ईशमधु तलवार- महासचिव/ मुख्य समन्वयक (चीफ़ कॉर्डिनेटर)
• कृष्ण कल्पित- संयोजक (फेस्टिवल कन्वीनर)