राष्ट्रीय कवि चौपाल की 188 वीं कड़ी में कवियों न चार चांद लगाए

स्वास्थ्य एवं साहित्य संगम के ”राष्ट्रीय कवि चौपाल की 188 वीं कड़ी रविवार को भ्रमण पथ पंचवटी में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता में डा. प्रो श्री ब्रह्माराम चौधरी मुख्य अतिथि में वरिष्ठ रंगकर्मी एंव गायक कलाकार श्री बी.एल. नवीन, विशिष्ट अतिथि रामेश्वर मेहचा मंच पर शोभायमान हुए। आज का कार्यक्रम हमारे राष्ट्रीय गणतन्त्र दिवस को पूर्ण समर्पित रहा और अधिकाशं कविवृन्द ने अपनी रचनाएं गणतन्त्र, राष्ट्रभक्ति पर केन्द्रित रही.. कार्यक्रम काशुभारम्भ श्रीमती कृष्णा वर्मा ने सरस्वती वन्दना प्रार्थना से की।

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राष्ट्रीय कवि चौपाल के सचिव डा. तुलसीराम ने बताया कि संस्था के संस्थापक नेमीचंद गहलोत ने ”सदकर्मों को अभी करो.. मरने से तुम कभी मत डरो’। तथा आदर्श सुवाक्य कहें, राष्ट्रीय कवि चौपाल अध्यक्ष रामेश्वर द्वारकादास बाडमेरा ”साधक’ ने ”राम नाम सत्य है सत्य बोलो गत है पर गुढ रहस्य खोलती हुई मृत्यु पर रचना सुनाई। संस्था के सचिव डॉ. तुलसीराम मोदी ने ”राज आपणो देश आपणो इरी रक्षा आपा ने करणी है’। किशननाथ खरपतवार ने ”गले में मादळियो राखो, चालो सावळ चेत’।

कैलाश टाक ने ”रोटी के नाम पे क्या क्या काम हो गया’। बांसुरी वादन श्री राजू लखोटीया ने जन गन मन राष्ट्रीय गान पर बांसुरी वादन किया एवं गजल ”होठो से छूं लूं तुम” पर बांसुरी वादन किया। राजुकुमार ग्रोवर ने ”भारत मां के वीर छुपे है… मातृ भुमि पर मर मिट कर भारत माता को किया प्रणाम”… श्रीमती कृष्णा वर्मा ने ”मैं हूं रक्षक मातृ भूमि का फौजी मेरा नाम, सीमाओं की रक्षा करके दे दूं अपनी जान’.. आज के कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ रंगकर्मी श्री बी.एल. नवीन ने ”टूटे हुए ख्वाबों ने हमको ये सिखाया है’ तथा 1960 में खेले नाटक ‘जमाना’ के नाटक के संवाद सुनाए… डॉ. प्रकाश वर्मा ने ”एक है अपनी जमीं.. एक है अपना गगन, आवाज दो हम एक है’।

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डा. ब्रह्माराम चौधरी ने ”अध्यक्षीय सम्बोधन तथा गणतंत्र के बारे में विलछण जानकारी दी’, सरदार अली परिहार ने ”ऐ सिपाई सदा ही जुंजो है सीमा रेखा रे मांय, सिपाई देश रो धणी धरती मां रो रिणी” फजल मोहम्मद ने ”जो जिस को पुचकारेगा, गरदन वहीं उतारेगा.. जब्बार बीकाणवी ने ”भारत भारतीय मेरा प्यार दिल का करार, ये प्यार वतन परस्ती नहीं तो और फिर क्या है.. मेहबूब अली ने ”दुनिया क्या है ये डिब्बा गोल.. मुह मे बात निकालने से पहले लगेगा गोल।

अजीतराज ने ”गले के हर नुक्कड पे लहरा रहा था इस तिरंगा.. श्री मेहराजूदीन ने मृत्यु प्रार्थना पर सन्देश दिए। डा. महेश चुघ ने ”आओ मिलकर इक बात कर फिरे बात करें’। सिराजूदीन ने ”चोपाल को जाने तो लोग नेम जी के नाम से’। शकील गौरी ने ”ऐ मेरे वतन कुरबान है तुझ पर जान ओ वतन, हर दिल की कली जहां खिलती है’। शिवप्रकाश सौलंकी ने ”मेवाडी राणा भजना से लागे मीरा मीठी ओ’। हनुमंत गौड नजीर ने ”आज तो आप दिल तक आ रहे हो हम को लगता है जैसे गजब ढा रहे’। आज कार्यक्रम में श्रीगोपाल स्वर्णकार, बाबूलाल भाटी, इन्फा अली, रामदेव आसोपा, सुनील मारू, हनुमान कच्छावा, रफीक अहमद आदि उपस्थित थे.. मंच संचालन कैलाश टाक ने किया तथा आभार रामेश्वर महेचा ने व्यक्त किया।(PB)

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