बीकानेर। रमक झमक की ओर से शनिवार को बारहगुवाड़ स्थित कार्यालय भवन में कोलकाता के 12 वर्षीय लोकगायक अश्मित व्यास का अभिनंदन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार शिवराज छंगाणी ने कहा कि अश्मित की वाणी में राजस्थानी लोकगीतों की सौंधी महक आती है। इस बाल कलाकार में अपार संभावनाएं हैं। संगीत के विशेषज्ञों को ऐसे हीरों को तराशने का कार्य करना चाहिए।

राजस्थान साहित्यकार शंकर सिंह राजपुरोहित ने कहा कि रमक-झमक लोक कला और कलाकारों को प्रोत्साहित करने की दिशा में सराहनीय कार्य कर रही है। यह संस्कृति की जीवंतता बनाए रखने में सहायक है। डॉ. गौरी शंकर प्रजापत ने कहा कि बाल कलाकारों का राजस्थानी लोकगीतों की ओर बढऩा अच्छी पहल है। इससे राजस्थानी परम्पराओं की मिठास भावी पीढ़ी तक पहुंच सकेगी। सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी हरि शंकर आचार्य ने कहा कि अश्मित की कला बीकानेर और कोलकाता के संबंधों की नई इबारत लिखेगी। लोक गायिका पदमा व्यास ने कहा कि बाल कलाकार में सुर, ताल और लय की गहरी समझ है। इसे पर्याप्त अवसर मिलने चाहिए। राजस्थानी गीतकार डॉ. कृष्णा आचार्य ने कहा कि अश्मित को इस मुकाम तक पहुंचाने में उसके परिजनों का योगदान सराहनीय है। भारती ऑडियो कैसेट के राजू छंगाणी ने जल्दी ही अश्मित की आवाज में गीत रिकॉर्ड करने की बात कही। कोलकाता के महेन्द्र जोशी ने कहा कि अश्मित ने गत वर्ष पश्चिम बंगाल टेलेंट हंट में विजेता का खिताब जीतकर अपनी योग्यता बताई। बीकानेर सेवा योजना के राजकुमार व्यास ने कहा कि प्रतिभाओं का अवसर मिले तो वे स्वयं को सिद्ध कर सकते हैं।


रमक झमक के अध्यक्ष प्रहलाद ओझा ‘भैंरूÓ ने कहा कि संस्था द्वारा राजस्थानी लोक कला, संस्कृति और साहित्य की सेवा करने वाली प्रतिभाओं का प्रोत्साहन संस्था का प्रमुख उद्देश्य है। उन्होंने अब तक की विभिन्न गतिविधियों के बारे में बताया तथा कहा कि राजस्थानी में जन्म से मृत्यु तक के लोकगीत विद्यमान है। यह हमारी समृद्ध संस्कृति का आईना है। गोकुल व्यास ने बताया कि अश्मित ने संगीत की शुरूआती शिक्षा जोधपुर के सतीश बोहरा से प्राप्त की तथा वर्तमान में पश्चिम बंगला के पार्थ डे तथा पद्मश्री पंडित अजय चक्रवर्ती से भारतीय शास्त्रीय संगीत की शिक्षा ग्रहण कर रहा है। रमक झमक के राधे ओझा आगंतुकों का आभार जताया।