गंगाशहर। पर्युषण पर्व के दूसरे दिन शनिवार को स्वाध्याय दिवस के रूप में मनाया गया। शासनश्री मुनिश्री मुनिव्रत जी ने तेरापंथ भवन में धर्मसंभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि अपने स्वयं का अध्ययन करना ही स्वाध्याय है। व्यक्ति का ध्यान बाहरी जगत की ओर लगा रहा है परन्तु जब व्यक्ति अपने अन्दर झांकना प्रारम्भ करता है तब उसे सही ज्ञान होता है। मुनिश्री ने कहा कि स्वाध्याय का अर्थ बाहर का अध्ययन करना ही नहीं अपने स्वयं का अध्ययन करना है। उन्होंने भगवान महावीर केे पूर्व भवों की व्याख्या करते हुए कहा कि नयसार के रूप में जन्म हुआ है। भगवान महावीर ने सुपात्र दान एवं भक्ति से सम्यकत्व प्राप्त किया।


मुनिश्री प्रबोधकुमारजी ने काल चक्र का विश्लेषण करते हुए कहा कि अभी पांचवा आरा चल रहा है तथा इसकी विस्तार से व्याख्या की। मुनिश्री विनीतकुमारजी ने स्वाध्याय दिवस की महत्ता बतलाते हुए कहा कि स्वाध्याय में पढऩे, बोलने व सुनने के साथ मनन करना भी आवश्यक है। मुनिश्री ने स्वाध्याय के अंगों की व्याख्या करते हुए कहा कि अध्ययन, पुनरावर्तन, जिज्ञासा अनुचिंतन और धर्मकथा स्वाध्याय के पांच अंग होते हैं। उन्होंने कहा कि स्वयं का अध्ययन करें। स्वयं के बारे में जानकारी करना ही स्वाध्याय है। मुनिश्री गिरीशकुमारजी ने पर्युषण पर्व की आराधना में परिवार सहित भाग लेने की प्ररेणा दी। तेरापंथ सभा अध्यक्ष डॉ. पी.सी. तातेड़ ने तेरापंथ सभा की योजनाओं एवं सदस्य बनने की अपील की। पर्युषण के पहले दिन शुक्रवार को खाद्य संयम दिवस के रूप में मनाया गया तथा रविवार को सामायिक दिवस के रूप में मनाया जाएगा।(PB)