बीकानेर। मुक्ति संस्था बीकानेर के तत्वावधान में छठे कहानी पाठ का आयोजन बीकानेर व्यापार उद्योग मण्डल के सभागार में किया गया। कहानी पाठ कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ शिक्षाविद्  डॉ सुचित्रा कश्यप ने की । रविवार  को हुए कहानी पाठ के आयोजन में हिन्दी एवं राजस्थानी के दो प्रतिष्ठित महिला  रचनाकारों ने कहानी पाठ किया । कथाकार डॉ संजू श्रीमाली ने हिन्दी कहानी  ‘अलग दुनियाÓ् एवं युवा  साहित्यकार मंजू सारस्वत ने  राजस्थानी कहानी ‘जलम दिनÓ का वाचन किया। कहानी पाठ कार्यक्रम में संस्था के सचिव कवि .कथाकार राजेन्द्र जोशी ने कहा कि अनेकों कहानीकार कहानी के माध्यम से रचनाओं में विभिन्न आकर्षक रंग भरकर उन्हें पठनीयता के साथ साथ दर्शनीय भी बना देते है । जोशी ने कहा कि कुछ महिला कहानीकार अपनी  कहानी को चित्रात्मकता की तरह प्रस्तुत करती है ।

उन्होंने कहा कि आज की कहानियां घटना प्रधान विषयों पर लिखी जा रही हैए जोशी ने कहा कि आज के समाज की अपेक्षा लेखक से समाधान और समस्या से राहत की राह की अपेक्षा रखता है । जोशी ने कहा कि कहानियों में दोहराव नहीं हो तथा असमानताए अंधविश्वासए भेदभाव और कुरीतियों से मुक्ति का मार्ग होना चाहिए। प्रारंभ में स्वागत भाषण करते हुए कवि राजेन्द्र जोशी ने कहा कि यह छठा कहानी पाठ का आयोजन है जो महिलाओं को समर्पित है और इससे पहले भी महिलाओं को समर्पित रहा है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ शिक्षाविद् डॉ सुचित्रा कश्यप ने कहा कि साहित्य और विशेषकर लोक साहित्य को समृद्ध करने का काम कहानी विधा ने किया है। उन्होंने कहा कि कहानीकार में यह हुनर होना चाहिए की वह  कहानी की विषयवस्तु देश और काल को पाठक के साथ उपस्थित कर सकें। अनेक लेखक कहानी को  कलात्मक ढंग से प्रस्तुत करते हुए आत्मकथ्य के रूप में लिख देते है। डॉण्कश्यप  ने कहा कि साहित्य में कहानी सबसे लोकप्रिय विधा हैए कहानी सुनना और कहने की कला हमारे यहां लोक में रही है। उन्होंने कहा कि गैर साहित्यक लोगों में कहानी के प्रति खूब लगाव रहा है लोक कथाओं में लोक मौजूद होता है जहां कम पढ़े लिखे अथवा निरक्षर लोग भी कहानी कहने में पारंगत होते है।

डॉ. सुचित्रा  ने कहा कि कहानियाँ सभी भाषाओँ में लिखी जा रही हैए कहानीकार को इस बात की सावधानी बरतनी चाहिए की कहानी में स्वयं लेखक नहीं बोले कहानी के चरित्रों के मध्य संवाद होना चाहिए। उन्होंने दोनों कहानियों को भाषा और शिल्प की दृष्टि से अनुपम बताया। डॉ कश्यप ने कहा कि अनेक सौपान पार करती कहानियों का स्वरूप बदल रहा है। उन्होंने कहा कि महिलाएं अपनी  लेखनी में बिम्बों और विषयों को उठाने का जोखिम लेने में पारंगत हैं। वरिष्ठ साहित्यकार डॉ संजू श्रीमाली की हिन्दी कहानी श्अलग दुनियाश् पर त्वरित प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए युवा कथाकार प्रिया पुरोहित ने कहा कि संजू की कहानी मानवीय समाज का तीक्ष्ण यथार्थ हैएष्अलग दुनियाष्।  पुरोहित ने कहा कि कहानी सोचने पर मजबूर करती है कि शिक्षित लोगों की शिक्षा और धन से अघाये समाज की जरुरत मानव समाज को किस रुप में है घ् सफर पर निकली ममता अपने जिज्ञासु प्रवृत्ति  के कारण एक अलग दुनिया का सफर इसी दुनिया में कर आती हैं । जहं के शिशुओं की जन्मघूंटी हताशाए नौनिहालों के लिए अर्थ ही बचपन और उसका सिद्धान्त जुआ और युवाओं का आनन्द बोतलों में बन्द है ।

    कहानी पाठ कार्यक्रम में अलायदा प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार मधु आचार्य ने कहा कि आज की कहानियाँ व्यापकता लिए हुए है। उन्होंने कहा कि आज पढ़ी गयी कहानियां समाज में असरदार भी है। आचार्य ने कहा कि भाव एवं संवेदना की कहानियां है । उन्होंने कहा कि आज की कहानियां भाषाए कथानक और गठन की दृष्टि से अनुपम है । उन्होंने बताया कि अलग दुनिया  4गुणा6 के घरों में सिमटे एक ऐसे समाज की कहानी हैं जो असभ्य समाज की श्रेणी मे आते हैंए जिनके घर के दीपक सभ्य समाज के नकाबपोशों के कारण जलते हैं । सामान्य रिश्तों की परिभाषा से उलट मूलभूत आवश्यकताओं  से झूझता  समाज जहां नोनिहालों के अर्थ का पहला सिद्धान्त जुआ और जीवन का आनंद बोतलों में बंद । कहानी सोचने पर मजबूर करती है की धन से आघए समाज की जरूरत मानव समाज को किस रूप मे हैं घ्

कार्यक्रम में बुलाकी शर्माए,चन्द्रशेखर जोशी, राजाराम स्वर्णकार, हरीश बी शर्मा, नवनीत पाण्डे, गौरीशंकर प्रजापत, डॉ नमामीशंकर आचार्य,  कमल रंगा, रंगा राजस्थानी, गिरिराज हर्ष, भगवती सोनी, प्रेम नारायण व्यास, मुरलीमनोहर माथुर, गिरिराज पारीक, प्रमोद शर्मा, श्रीमती गायत्री सुथार, ज्योति वधवा श्रंजनाश्, कमल पारीक, डॉ रेणुका व्यास, डॉ समीक्षा व्यास, विष्णु शर्मा, अजीत राज, आत्माराम भाटी, बजरंग सारस्वत, विनोद सारस्वत सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे । कार्यक्रम का संचालन कवियत्री मोनिका गोड़ ने किया तथा अन्त में आभार कवि . कथाकार राजाराम स्वर्णकार ने स्वीकार किया ।(PB)