“निरामया” कार्यक्रम के अंतर्गत मेडिकल स्टूडेंट्स ने किया किशोरों से सीधा संवाद

बीकानेर। गाँवों में स्वास्थ्य शिक्षा के लिए चलाए जा रहे विशेष कार्यक्रम “निरामया” के अंतर्गत बुधवार को मेडिकल स्टूडेंट्स ने किशोर-किशोरियों से सीधा संवाद किया। सभी चिन्हित 37 गांवों के सेकेंडरी व सीनियर सेकेंडरी विद्यालयों में निरामया के कार्यक्रम आयोजित किए गए। सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज के विशेष रूप से प्रशिक्षित 223 छात्र-छात्राओं की 112 टीमे अपने मेंटर के साथ स्वास्थ्य, स्वच्छता व प्रिवेंटिव हेल्थकेयर का सन्देश लेकर तय गावों में पहुंचे। मेडिकोज ने किशोर-किशोरियों से पोषण, आयरन सम्पूरण, माहवारी स्वच्छता, मानसिक व भावनात्मक संतुलन, नशे से बचाव, रोगों से सुरक्षा, द्वितीयक लैंगिक बदलावों, यौनिक एवं प्रजनन स्वास्थ्य, हिंसा के विरुद्ध उपाय, 1098 चाइल्ड लाइन, टोल फ्री 104 परामर्श सेवा, विफ्स कार्यक्रम, एनीमिया नियंत्रण, बाल विवाह निषेध व अच्छी आदतों पर गहन संवाद किया। सीएमएचओ डॉ. बी.एल. मीणा ने बताया कि “निरामया” का चैथा अभियान “किशोरावस्था: पोषण व शारीरिक गतिविधियाँ” थीम पर चलाया गया। निरामया के प्रथम चरण में अब 28 नवम्बर को फिर अभियान चलाया जायेगा जिसमे मेडिकोज जिरियाट्रिक केयर यानिकी वृद्धावस्था में विशेष देखभाल की थीम पर ग्रामीणों से मुखातिब होंगे। दो चरणों में आयोजित होने वाले इस निरामया कार्यक्रम में जागरूकता की कुल दस थीम रहेंगी। प्राचार्य डॉ. आर.पी. अग्रवाल के निर्देशन में सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज के डॉ. अभिषेक क्वात्रा, डॉ. कीर्ति शेखावत व डॉ. लोकेश कुमार द्वारा कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है।


कार्यक्रम के जिला नोडल अधिकारी आरसीएचओ डॉ. रमेश गुप्ता ने बताया कि “निरामया” कार्यक्रम में मेडिकोज ने ग्रामीण किशोरों के रहन-सहन की पड़ताल करते हुए जानने का प्रयास किया कि उन्हें आयरन युक्त आहार की जानकारी है या नही ? आयरन की नीली गोली स्कूल में मिलती हैं या नही ? क्या उन्हें यह जानकारी है कि शारीरिक गतिविधियों की कमी एवं जंक फूड के सेवन से कौन-कौनसी बिमारियाँ उन्हें हो सकती है ? क्या नशीले चीजों के दुष्प्रभाव की जानकारी है ? किसी भी प्रकार कि हिंसा का सामना कैसे करना है ? किशोरियों को मासिक चक्र के समय साफ कपड़ा अथवा सैनेटरी नैपकीन उपयोग करने की जानकारी है या नही ? क्या किशोर यह समझते है कि असुरक्षित यौन सम्बन्धों के क्या परिणाम हो सकते है ? ऐसे कई सवालों के माध्यम से उन विषयों को छुआ गया जो सामान्यतया शिक्षक व माता-पिता छूने से कतराते हैं।

किशोरवय संभावनाओं से भरा लेकिन नाजुक दौर
जिला आई.ई.सी. समन्वयक मालकोश आचार्य ने बताया कि किशोरवय संभावनाओं से भरा लेकिन नाजुक दौर होता है, जब सबसे अधिक देखभाल और सहयोग की आवश्यकता होती है ताकि वे अपनी सम्पूर्ण क्षमता का विकास कर सकें। किशोर अपने वयस्क वजन का 50 प्रतिशत लम्बाई का 20 प्रतिशत और अपने हड्डियों का 50 प्रतिशत विकास किशोरावस्था के दौरान प्राप्त करते है। किशोरियों को अतिरिक्त आयरन अनुपूर्ति की आवश्यकता होती है ताकि माहवारी के दौरान होने वाले रक्त की हानि की भरपाई की जा सके।(PB)