वेकैंया नायडू होंगे देश नए उपराष्ट्रपति

नई दिल्ली ।  उपराष्ट्रपति चुनाव में वेंकैया नायडू ने कांग्रेस की अगुआई वाले 18 विपक्षी दलों के संयुक्त उम्मीदवार और राष्ट्रपति महात्मा गांधी के पोते गोपाल कृष्ण गांधी को हराया। इस तरह ऐसा पहली बार हुआ है कि बीजेपी के नेता देश के 3 बड़े संवैधानिक पदों- राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री पर काबिज होंगे। इससे पहले राष्ट्रपति चुनाव में रामनाथ कोविंद ने विपक्ष के उम्मीदवार मीरा कुमार को हराया था। मौजूदा उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी लगातार 2 बार इस पद पर रहें और उनका मौजूदा कार्यकाल 10 अगस्त को समाप्त हो रहा है।

बीजेपी नेता बीजेपी ने संघ परिवार के करीबी वेंकैया नायडू को एनडीए की तरफ से उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया था। शुक्रवार को उपराष्ट्रपति पद के लिए हुए चुनाव में 98.21% वोट डाले गए। चुनाव में कुल 785 सांसदों को वोट डालना था लेकिन 771 सांसदों ने ही वोट डाला, 14 सांसदों ने मताधिकार का इस्तेमाल नहीं किया। वोटिंग सुबह 10 बजे शुरू हुई जो शाम 5 बजे तक चली।

सभी दलों से हैं अच्छे संबध

नायडू अपनी हाजिरजवाबी के लिए मशहूर हैं। नायडू ने संसदीय मामलों के मंत्री के तौर पर कांग्रेस सहित सभी दलों के साथ अच्छे संबंध बनाए थे। वह गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स (GST) बिल पर विपक्ष का समर्थन मांगने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के घर पर भी गए थे। वह राष्ट्रपति चुनाव के सिलसिले में भी सोनिया से मिले थे। विपक्षी दलों के साथ उनके अच्छे संबंधों के कारण उन्हें राज्यसभा का कामकाज बेहतर तरीके से चलाने में मदद मिलेगी। यह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि एनडीए को फिलहाल राज्यसभा में बहुमत नहीं है। बता दें कि उपराष्ट्रपति संसद के उच्च सदन राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं।

ABVP से राष्ट्रीय राजनीतिक तक का सफर

नायडू ने क्षमताओं को कई मौकों पर साबित भी किया। आंध्र प्रदेश से आने वाले नायडू ने 1967 में बतौर युवा छात्र नेता एबीवीपी से जुड़े और 1973 में उन्होंने जन संघ जॉइन किया। यहां से उन्होंने राष्ट्रीय अध्यक्ष और फिर केंद्रीय मंत्री बनने तक का सफर तय किया। नायडू जब दिल्ली आए तो एलके आडवाणी की नजर उन पर पड़ी। धीरे-धीरे वह टीम आडवाणी का एक अहम हिस्सा बन गए। नायडू के मीडिया से भी बेहद अच्छे संबंध रहे। पत्रकारों में उनकी अच्छी पैठ है। दिल्ली आने के शुरुआती दिनों में उनकी कोशिश रहती थी कि भले ही मीडिया में पार्टी को लेकर कोई नकारात्मक वक्तव्य ही छपे, मगर कहीं ना कहीं पार्टी चर्चा में जरूर रहनी चाहिए।